UP News : आखिर कब सुधरेगा UP का सरकारी System

 UP News : जमकर हो रही है घूसखोरी

हाल में ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सरकारी दफ्तरों में प्राइवेट कर्मचारी रखे जाने पर कार्यवाही का संकेत दिया है , लेकिन अभी भी सभी दफ्तरों में प्राइवेट कर्मचारियों की भरमार लगी हुई है ।
राजस्व विभाग से लेकर ब्लॉक स्तर तक हर जगह घूसखोरी व्याप्त है । लेकिन कोई भी इसकी सुद लेना नही चाहते है ।

ब्लॉक में हो रही है जमकर घूसखोरी

ब्लॉक स्तर पर ग्राम प्रधानों से भी बिना घुस लिए कोई योजना पास नही की जाती है , वही बात करे आमजन की तो चाहे वह पेंशन हो या आवास हो , पेंशन आपको पास कराना है तो कम से कम 500 से 1000 तक आपको घुस देने ही पड़ेंगे अन्यथा आपका पेंशन का फॉर्म BDO साहब के कार्यालय में ही पड़ा रहेगा। वही बात की जाए प्रधानमंत्री आवास योजना की तो इसके आपको बड़ी रकम मिलती है तो दक्षिणा भी अधिकारी लोग बड़ा मुंह खोल करके ही लेते है । आवास के लिए आपको कम से कम 40 से 50 हजार तक ग्राम सचिव और BDO साहब को देने पड़ते है। 
अगर आपको किसी का जन्म प्रमाण पत्र या मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवाना है तो उसके लिए आपको 200 रुपए देने पड़ेंगे ।



बिजली विभाग में कैसे होती है घूसखोरी

बात करे बिजली विभाग की तो यहां पर भी अधिकारियो के हाथ रिश्वत से रंगे हुए है । आपका बिजली बिल अगर गलत आता है तो उसके सुधार के लिए भी अधिकारी लोग 200 से 500 रुपए ले लेते है । और वही आप बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन करते है तो ये राशि 2 से 3 हजार तक लगती है । 
अगर आप घर से थोड़े संपन है और आपके पास थोड़ी बहुत जमीन है, जिस पर आप खेती करना चाहते है और उसके लिए निजी नलकूप का आवेदन करते है तो आपको 10 से 20 हजार तक अतिरिक्त दक्षिणा देना पड़ सकता है ।

ये तो हुआ बिजली विभाग और ब्लॉक का रिश्वतखोरी का आलम
ये जो आपने देखा ये कुछ भी नही है, अगर आप राजस्व विभाग की तरफ रुख करेंगे तो आप सोच में पड़ जायेंगे की बाप रे, इतनी कमाई ?
आइए चलते है राजस्व विभाग की ओर

राजस्व विभाग में कैसे हो रही है वसूली

राजस्व विभाग में सबसे पहले रुख करते है सबसे छोटे स्तर से , आपको अपने पूर्वजों की जमीन पर वरासत दर्ज कराना है तो सरकार के अनुसार आपको ऑनलाइन आवेदन करना है और अधिकारी अपना जांच करके नाम दर्ज की प्रक्रिया कर देगा । लेकिन अगर आप इसे इतना आसान समझ रहे है तो ये इतना आसान नहीं हैं, आइए बताते है झोल होता कैसे है 
आपने वरासत के लिए ऑनलाइन पंजीयन कर दिया , उसके बाद आवेदक को सभी साक्ष्य के साथ आवेदन फॉर्म उसके क्षेत्रीय लेखपाल को जमा करना होता है , क्षेत्रीय लेखपाल फॉर्म की जांच करता है । और यही से शुरू होता है घूसखोरी का खेल। लेखपाल तब तक जांच रिपोर्ट नही लगाता जब तक उसको आप खर्चा पानी न दे दे। लेखपाल को जब आपने खर्चा पानी दे दिया उसके बाद चले मत जाइए, अभी और भी बाकी है। अब बारी आती है राजस्व निरीक्षक की, लेखपाल अपनी रिपोर्ट राजस्व निरीक्षक को भेजता है जिस पर राजस्व निरीक्षक को आदेश देना रहता है । इसमें भी आपको बिना दक्षिणा दिए हुए आदेश जारी नही किया जाता है । 
हालांकि इसमें राजस्व निरीक्षक लेखपाल से कम चार्ज लेते है । लेखपाल साहब 1 हजार से पंद्रह सौ रुपए लेते है तो वही राजस्व निरीक्षक महोदय 500 रुपए में ही मान जाते है । 

पैमाईश के लिए कितने लगते है पैसे 

अगर आपको जमीन की पैमाईश करानी है तो राज्य सरकार के अनुसार आपको धारा 24 के अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन करना होगा और उसके बाद आपको आवेदन की कॉपी और जमीन का नक्शा एसडीएम कोर्ट में दाखिल करना होता है।  एसडीएम कोर्ट से आपको वकील के द्वारा फाइल को राजस्व निरीक्षक के पास भिजवाना होता है । उसके बाद राजस्व निरीक्षक साहब को 8 से 10 हजार रुपए आपको देने होंगे ।

अब आते है सबसे कमाई वाले विभाग में रजिस्ट्रार ऑफिस

राजस्व विभाग में सबसे पिछड़े हुए इलाके में भी रजिस्ट्रार ऑफिस की कमाई कम से कम 5 लाख रुपए प्रतिदिन की होती है । अगर आप किसी जमीन की रजिस्ट्री कराने गए होंगे तो आप बखूबी जानते होंगे की आपसे कैसे पैसे लिए जाते है । रजिस्ट्री ऑनलाइन होने के बावजूद आपको बिना घुस दिए रजिस्ट्री नही हो सकती । रजिस्ट्री के लिए आप अपने जमीन के पेपर तैयार करवाते है , उसके लिए आपको स्टांप शुल्क, जमीन का रजिस्ट्रेशन शुल्क, उसके साथ आपको वकील का फीस देना होता है । लेकिन जब आपको रजिस्ट्रार के सामने पेश होना होता है उससे पहले आपको रजिस्ट्रार साहब का दक्षिणा देना होता है । ये आपको डायरेक्ट रजिस्ट्रार ऑफिस में नही लिया जाता , बल्कि ये राशि आपके वकील से लिया जाता है । और ये राशि कोई छोटी मोटी राशि नही होती, ये आपके जमीन के सर्किल रेट पर निर्भर करती है । अगर आपके जमीन की कीमत सर्किल रेट के हिसाब से 5 लाख रुपए है तो 5 लाख रुपए का 2 प्रतिशत यानी की 10 हजार रुपए आपको रजिस्ट्रार साहब को भेंट में देने के लिए अपने वकील को देने पड़ेंगे । तो ऐसे होता है घूसखोरी।

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