कोटा में कोचिंग माफिया कंगाल, डीएम एसपी कर रहे है बच्चो को भेजने की अपील

 कोटा में कोचिंग माफिया कंगाल, डीएम एसपी कर रहे बच्चो को भेजने की अपील

पिछले कुछ वर्षों में कोटा से लोगों का मोह भंग हो गया है, लोगो ने अपने बच्चों को कोटा में कोचिंग के लिए भेजने से परहेज करने लगे है। पिछले कई सालों में कोटा की कुछ ऐसी छवि उभरकर आई कि अब कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को कोटा भेजने का नाम नहीं ले रहे है । शायद यही कारण है कि अब शासन से लेकर प्रशासन तक लोगो से अपने बच्चों को कोटा भेजने की अपील करना पड़ रहा है।

कोटा में कोचिंग संस्थानों ने वसूला अंधाधुंध पैसा

कोटा NEET और IIT JEE की तैयारी के लिए सिलेक्शन की आस में अभिभावक अपने बच्चे को भेजते थे कि बच्चा उनका देश के टॉप संस्थानों में दाखिला पा जाए और उसकी जिंदगी सवर जाए। लेकिन कोचिंग माफियाओं ने लोगों की भावनाओं का फायदा उठा कर मनमर्जी फीस वसूले, कभी बुक के नाम पर तो कभी टेस्ट सीरीज के नाम पर । फीस तो वैसे ही लाखों में है एक साल का। फीस इतना की हर कोई अपने बच्चे को कोटा भेजने का सपना नहीं देख सकता। अब चूंकि लोगों के पास अन्य प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन कोचिंग की सुविधा है तो लोग लाखों की फीस क्यों दे। शायद कोचिंग माफियाओं को अब लगने लगा है कि उनका माफियागिरी अब ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी इसीलिए अब लोगों से अपने बच्चों को भेजने की अपील करने लगे है।



मकानमालिकों ने भी दिखाई है बेरहमी

कोटा में अपने बच्चों को भेजना हर किसी के बस की बात नहीं क्योंकि फीस इतनी महंगी है कि हर कोई अपने बच्चों को कोटा नहीं भेज सकता। लेकिन मकान मालिकों ने भी बच्चो पर अपना सख्तीपन दिखाया है जिससे बच्चों का अब कोटा से मोह भंग होने लगा है। बच्चो की माने तो कई बच्चो ने बताया कि कोटा में मकान मालिक रूम में खाना बनाने की परमिशन नहीं देते है जिससे कि उन्हें मजबूरन में टिफिन सर्विस लेनी पड़ती है। जो कि मनमानी दाम वसूलते है। अभिभावक जैसे तैसे पैसों का इंतजाम करके अगर कोटा में अपने बच्चों का एडमिशन कर भी देते है तो मकानमालिक उनका खून चूसने को तैयार रहते है। अगर खाने और रहने का खर्च देखा जाए तो 1 बच्चे का औसतन 1.5 लाख से 2 लाख रुपए केवल रहने और खाने का खर्च देना पड़ता है । उसके बाद 1 से डेढ़ लाख रुपए कोचिंग संस्थानों की फीस। आम आदमी जैसे तैसे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के लिए कोटा तो भेज देता है लेकिन वहां पर बच्चो से शिक्षा के नाम पर केवल और केवल वसूली की जा रही है।

बढ़ती आत्महत्या के चलते अभिभावक बच्चों को भेजने से कतरा रहे 

कोचिंग माफियाओं और मकान मालिक की मनमानी वसूली से तो अभिभावक परेशान है ही लेकिन कोटा में बढ़ रही आत्महत्याओं को देखकर भी अभिभावकों के मन में संदेह पैदा हो गया है जिससे अभिभावक अपने बच्चों को कोटा भेजने से डर रहे है। अभिभावक अब अपने बच्चों की शिक्षा के लिए कोई अन्य विकल्प तलाशने में लगे हुए है। बहुत से अभिभावक अब अपने बच्चों को ऑनलाइन क्लास को ही महत्व दे रहे है। कोटा में सपने तो बड़े बड़े दिखाया जाता है लेकिन जब वही सपने अगर पूरे नहीं होते है तो बच्चे मानसिक तनाव में चले जाते है । क्योंकि उन्हें लगता है कि 2 से 3 साल की तैयारी में भी उनका सिलेक्शन नहीं हुआ और उन्होंने कोटा में 10 से 12 लाख रुपए भी फूंक दिए। तो अब कौन सा मुंह लेकर हम घर जाए। इसी मानसिक अवसाद में कईयों बच्चो ने अपनी जिंदगी त्याग दी। शायद यही वजह है कि अब कोटा के कोचिंग माफियाओं को भी समझ आ गया है कि उन्होंने बच्चों के साथ गलत किया क्योंकि अब कोटा में कोचिंग संस्थानों की कमाई 50 प्रतिशत तक कम हो गई है। कोटा का राज्य की अर्थव्यवस्था में भी बहुत योगदान था। 

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बच्चो को कोटा भेजने की अपील की

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी एक पत्रकार से बात करते हुए लोगो से अपील की है कि आप लोग कोटा में अपने बच्चों को भेजे । कोटा में शिक्षा के लिए अनुकूल माहौल है। कोटा में अच्छी शिक्षा उपलब्ध है। ओम बिरला के अपील से अंदाज लगाया जा सकता है कि किस तरह कोटा का कोचिंग माफिया तबाह हुआ पड़ा है कि अब स्थानीय नेता सहित वहां का शासन प्रशासन सब के सब अपील कर बच्चो को फिर से कोटा आने के लिए कह रहे है। 

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